दोकड़ा (जशपुर), 07 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के दोकड़ा में स्थित ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर में देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु का पारंपरिक सुना वेष में भव्य श्रृंगार किया गया। यह आयोजन मंदिर परिसर में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ संपन्न हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रभु के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस विशेष अवसर पर मंदिर के शिखर पर द्वीप प्रज्वलन की रस्म भी विधिवत रूप से संपन्न हुई, जो इस पर्व के आध्यात्मिक महत्व को और अधिक गहरा देती है।
भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी की उपस्थिति
इस शुभ अवसर पर छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उन्होंने न केवल भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के दर्शन किए, बल्कि ओड़िया और नागपुरी भजनों की संगीतमय प्रस्तुतियों में भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। श्रद्धालुओं ने उनकी उपस्थिति को आत्मीयता के साथ स्वागत किया, और उनकी भक्ति-भावना ने आयोजन को और अधिक गरिमामय बना दिया। श्रीमती साय ने भजनों की धुन पर झूमते हुए श्रद्धालुओं के साथ भक्ति के रंग में सराबोर दिखाई दीं।
भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम
आयोजन में झारखंड और ओडिशा के प्रसिद्ध लोक कलाकारों ने अपनी भक्ति भरी प्रस्तुतियों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मंगल वाद्य, कीर्तन मंडलियों और संकीर्तन समूहों।की प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया। ओड़िया और नागपुरी भजनों की मधुर धुनों ने मंदिर परिसर को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। स्थानीय और आसपास के ग्रामों से आए श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और प्रभु जगन्नाथ के सुना वेष के दर्शन कर अपने को धन्य माना।
सुना वेष और इसका महत्व
श्री जगन्नाथ मंदिर समिति, दोकड़ा के ठाकुर पुरुषोत्तम सिंह ने बताया कि सुना वेष भगवान जगन्नाथ का एक विशेष श्रृंगार है, जो अत्यंत दुर्लभ और पुण्यफलदायी माना जाता है। इस वेष में प्रभु को स्वर्ण आभूषणों और विशेष वस्त्रों से सजाया जाता है, जो भक्तों के लिए दैवीय अनुभव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु के चार मासीय शयन काल (चातुर्मास) की शुरुआत होती है, जब भगवान क्षीरसागर में योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं। इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है, और यह समय भक्ति, तप और स्वाध्याय के लिए विशेष माना जाता है।
मंदिर की परंपरा और आध्यात्मिक महत्व
दोकड़ा का श्री जगन्नाथ मंदिर क्षेत्रीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय कला, संस्कृति और परंपराओं को भी संजोए हुए है। देवशयनी एकादशी के अवसर पर आयोजित यह भव्य समारोह हर वर्ष श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। मंदिर समिति द्वारा इस आयोजन को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न कराया गया, जिसमें स्थानीय नागरिकों और आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति का माहौल
आयोजन में शामिल श्रद्धालुओं ने बताया कि भगवान जगन्नाथ के सुना वेष के दर्शन और भक्ति भजनों का आनंद उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। मंदिर परिसर में भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला, जहां हर आयु वर्ग के लोग प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते नजर आए। मंदिर समिति ने सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।
दोकड़ा के श्री जगन्नाथ मंदिर में देवशयनी एकादशी का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने क्षेत्रीय संस्कृति और भक्ति की भावना को भी मजबूत किया। श्रीमती कौशल्या साय की उपस्थिति और लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। यह आयोजन भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनकर उभरा।