शिक्षा का उत्सव, सपनों की उड़ान: कांसाबेल में विकासखण्ड स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव में शामिल हुईं विधायक गोमती साय…..

पत्थलगांव, 25 जुलाई2025: पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्र के कांसाबेल स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय परिसर में आज विकासखण्ड स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पत्थलगांव की विधायक श्रीमती गोमती साय ने शिरकत की। उन्होंने नवप्रवेशी बच्चों का तिलक लगाकर और फूलमाला पहनाकर स्वागत किया, साथ ही बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर विधायक ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक कदम उठाते हुए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत एक पौधा भी रोपित किया।
शिक्षा: सशक्त समाज और समृद्ध राष्ट्र का आधार
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में विधायक गोमती साय ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “शिक्षा ही जीवन है। यह वह आधार है जिस पर सशक्त समाज और समृद्ध राष्ट्र की नींव टिकी होती है। प्रत्येक बच्चे तक शिक्षा की रोशनी पहुँचना हमारा कर्तव्य और संकल्प है।” उन्होंने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा वह बीज है, जो एक विकसित, संवेदनशील और आत्मनिर्भर समाज का निर्माण करता है। विधायक ने अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों के सपनों को पंख देने के लिए मिलकर प्रयास करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने कहा, “शिक्षा का उत्सव, सपनों की उड़ान – यही विकसित भारत की असली पहचान है।” इस संदेश के साथ उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और बच्चों के भविष्य को संवारने में योगदान देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य और गतिविधियाँ
शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन शिक्षा के प्रति जनजागृति लाने, नवप्रवेशी बच्चों में आत्मविश्वास जगाने और विद्यालय परिसर को उत्सवमय वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम में बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें नृत्य, गीत और नाटक शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने उपस्थित सभी लोगों का मन मोह लिया और आयोजन को एक भावनात्मक और प्रेरणादायक अनुभव में बदल दिया। नवप्रवेशी बच्चों का स्वागत रंग-बिरंगे फूलों, गुब्बारों और तिलक समारोह के साथ किया गया, जिसने बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। प्रेरणादायक वक्तव्यों के माध्यम से शिक्षकों और अतिथियों ने बच्चों को शिक्षा के महत्व और उनके सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा दी।
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय: वंचित वर्ग की बालिकाओं के लिए वरदान
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय (KGBV) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित की जाती है। यह विद्यालय विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अल्पसंख्यक समुदायों और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों की बालिकाओं के लिए निःशुल्क शिक्षा और आवासीय सुविधाएँ प्रदान करता है। कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा के साथ-साथ यहाँ छात्राओं को भोजन, वर्दी, किताबें, स्टेशनरी और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ जैसे तेल, साबुन, शैम्पू आदि भी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक छात्रा को प्रतिमाह 100 रुपये की दर से सालाना 1200 रुपये DBT के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में विधायक गोमती साय के साथ-साथ कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इनमें पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता, जनपद पंचायत अध्यक्ष सरिता भगत, मण्डल अध्यक्ष सुदामा पंडा, जिला पंचायत सदस्य हीरामती पैंकरा, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, पूर्व मण्डल अध्यक्ष गणेश जैन, समस्त जनपद सदस्य, सरपंचगण, भाजपा पदाधिकारी, छात्र-छात्राओं के अभिभावक और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक शामिल थे। इन सभी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी भव्य और स्मरणीय बना दिया।
शिक्षा के प्रति सामूहिक संकल्प
इस आयोजन ने न केवल नवप्रवेशी बच्चों में उत्साह का संचार किया, बल्कि समुदाय में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय जैसे संस्थान वंचित वर्ग की बालिकाओं को शिक्षा का अवसर प्रदान कर उनके जीवन को नई दिशा दे रहे हैं। विधायक गोमती साय ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा के माध्यम से ही हम एक समावेशी और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकते हैं।
कांसाबेल में आयोजित यह शाला प्रवेश उत्सव न केवल एक समारोह था, बल्कि यह शिक्षा के महत्व को रेखांकित करने और बच्चों के सपनों को उड़ान देने का एक सशक्त प्रयास था। विधायक गोमती साय के प्रेरणादायी शब्दों और सामुदायिक सहभागिता ने इस आयोजन को एक यादगार अनुभव बना दिया। यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा के प्रति सामूहिक प्रयास और संकल्प ही विकसित भारत की नींव रख सकता है।