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बिग ब्रेकिंग : जशपुर के पत्थलगांव वन परिक्षेत्र में जंगली हाथी का उत्पात, वन विभाग की स्कॉर्पियो वाहन पर हाथी का हमला, वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त, रेंजर और चालक बाल-बाल बचे, देखें वीडियो और पढ़ें पूरी ख़बर…..

जशपुर, 26 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के लुड़ेग क्षेत्र में एक मादा जंगली हाथी ने जमकर उत्पात मचाया। यह मादा हाथी अपने बच्चे के साथ झुंड से बिछड़कर रिहायशी इलाके में आ पहुंची थी, जिसके कारण स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बन गया। इस दौरान हाथी ने वन विभाग के रेंजर कृपा सिंधु पैंकरा की स्कॉर्पियो वाहन को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। गनीमत रही कि वाहन में मौजूद चालक अनिल पैंकरा बाल-बाल बच गया।

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, यह घटना पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के लुड़ेग क्षेत्र में उस समय हुई जब मादा हाथी अपने बच्चे के साथ एक स्कूल के समीप पहुंच गई। इस दौरान वन विभाग की टीम, जिसमें रेंजर कृपा सिंधु पैंकरा शामिल थे, हाथी को नियंत्रित करने के लिए मौके पर मौजूद थी। तभी गुस्साई मादा हाथी ने अचानक स्कूल के पास खड़े वन विभाग की स्कॉर्पियो वाहन पर हमला बोल दिया। हाथी ने वाहन को अपने सूंड़ और पैरों से तोड़-फोड़कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। हाथी को अपनी तरफ आता देखकर वाहन चालक अनिल पैंकरा ने गाड़ी भगाने की कोशिश भी की थी लेकिन तबतक हाथी ने दौड़कर स्कॉर्पियो वाहन पर हमला कर दिया था। इस हमले के दौरान चालक अनिल पैंकरा ने किसी तरह अपनी जान बचाई। वन विभाग की टीम ने भी तुरंत स्कूल भवन में शरण लेकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित की। गुस्साए हाथी ने कुछ देर तक इलाके में उत्पात मचाया, जिससे स्थानीय लोगों में भय व्याप्त हो गया।

वन विभाग की त्वरित कार्रवाई

घटना के बाद मौके पर मौजूद वन विभाग की टीम कड़ी मशक्कत के बाद मादा हाथी और उसके बच्चे को रिहायशी इलाके से खदेड़कर सरगुजा की सीमावर्ती जंगल की ओर खदेड़ा। वन विभाग के रेंजर कृपा सिंधु पैंकरा के अनुसार, दोनों हाथी वर्तमान में पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के बालाझर गांव के जंगल में मौजूद हैं। विभाग ने इस क्षेत्र में विशेष निगरानी शुरू कर दी है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष की बढ़ती समस्या

जशपुर जिला लंबे समय से मानव-हाथी संघर्ष का सामना कर रहा है। पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के कोतबा, चिकनीपानी, सराईटोला, झिमकी और अन्य गांवों में हाथियों का झुंड अक्सर फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाता रहा है। हाल के वर्षों में, इस क्षेत्र में हाथियों के हमले में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में हाथियों के हमले में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं।

स्थानीय लोगों में दहशत, वन विभाग सतर्क

इस घटना के बाद लुड़ेग और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का रिहायशी इलाकों में आना अब आम बात हो चुका है, जिससे उनकी फसलों और जान-माल को लगातार खतरा बना रहता है। वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और जंगल में अनावश्यक रूप से न जाने की सलाह दी है। साथ ही, विभाग ने क्षेत्र में विशेष ट्रैकिंग टीमें तैनात की हैं जो हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं।

भविष्य की रणनीति

जशपुर और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग ने कई उपाय शुरू किए हैं। इनमें मशाल जलाने, सोलर फेंसिंग, और मधुमक्खी की आवाज वाले उपकरणों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, वन विभाग अन्य राज्यों जैसे झारखंड और ओडिशा के साथ मिलकर संयुक्त रणनीति बनाने पर भी काम कर रहा है, क्योंकि हाथी अक्सर सीमावर्ती क्षेत्रों में आते-जाते रहते हैं।

यह घटना एक बार फिर जशपुर में मानव-हाथी संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस समस्या से निपटने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि न केवल ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, बल्कि जंगली हाथियों के संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा सके। फिलहाल, वन विभाग की टीमें स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और ग्रामीणों से सावधानी बरतने की अपील की गई है।

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