छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने वर्ष 2024-25 के बजट के तहत विभिन्न विभागों के मंत्रियों को पत्र लिखकर पूंजीगत व्यय में कमी को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने पांच प्रमुख मंत्रियों के विभागों को पत्र लिखते हुए बजट राशि के कम खर्च होने पर ध्यान आकृष्ट किया और आग्रह किया कि खर्च की गति को तेज किया जाए। उनका मानना है कि बजट जिस अनुपात में खर्च होना चाहिए, वह उस अनुपात में नहीं हो रहा है, जिससे राज्य के विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है।
पूंजीगत व्यय का महत्व
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपने पत्रों में यह स्पष्ट किया है कि बजट के तहत पूंजीगत व्यय के लिए तिमाही लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है। इन लक्ष्यों के अनुसार, पूंजीगत व्यय को समय पर पूरा करना आवश्यक है, ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी से रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और विकास कार्यों में निरंतरता बनी रहेगी।
चौधरी ने यह भी उल्लेख किया कि पूंजीगत व्यय के तहत निर्माण कार्यों के लिए ठेकेदारों को समय पर भुगतान करना जरूरी है। इससे न केवल कार्यों की समय पर पूर्णता सुनिश्चित होगी, बल्कि कार्य की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। साथ ही, उन्होंने विभागों से आग्रह किया कि 31 जुलाई 2024 तक लंबित सभी देयकों का भुगतान 30 सितंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाए, जिससे काम की गति और गुणवत्ता बनी रहे।
गृहमंत्री विजय शर्मा को लिखा पत्र
वित्त मंत्री ने गृहमंत्री विजय शर्मा को लिखे पत्र में गृह विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पूंजीगत व्यय की धीमी गति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि गृह विभाग में केवल 31 करोड़ और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 171 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कि निर्धारित सीमा से काफी कम है। मंत्री चौधरी ने आग्रह किया कि इस धीमी गति को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
कृषि मंत्री रामविचार नेताम को पत्र
कृषि मंत्री रामविचार नेताम को लिखे पत्र में चौधरी ने बताया कि कृषि विकास और किसान कल्याण विभाग में केवल 18 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है, जबकि आदिमजाति विकास विभाग और पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग में 20 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है। यह व्यय बजट के निर्धारित लक्ष्यों से बहुत कम है। उन्होंने मंत्री नेताम से योजनाओं की नियमित निगरानी और पूंजीगत व्यय की गति बढ़ाने का अनुरोध किया।
वन मंत्री केदार कश्यप पर भी चिंता
वित्त मंत्री ने वन मंत्री केदार कश्यप को भी इसी तरह का पत्र लिखा, जिसमें वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और जल संसाधन विभाग में कम खर्च का जिक्र किया गया। जल संसाधन विभाग में 655 करोड़ रुपये और वन विभाग में 80 लाख रुपये का पूंजीगत व्यय हुआ है, जो बजट के निर्धारित अनुपात से कम है। चौधरी ने इन विभागों से भी पूंजीगत व्यय को तेजी से बढ़ाने का आग्रह किया।
नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को लिखा पत्र
वित्त मंत्री चौधरी ने नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को पत्र लिखकर उनके विभाग में भी कम खर्च को लेकर चिंता जताई। लोक निर्माण विभाग में 1320 करोड़, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में 220 करोड़ और नगरीय प्रशासन विभाग में 348 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय हुआ है। वित्त मंत्री ने इन आंकड़ों को देखते हुए व्यय की गति बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को पत्र
स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को लिखे पत्र में चौधरी ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में कम व्यय का मुद्दा उठाया। लोक स्वास्थ्य विभाग में केवल 91 करोड़ और चिकित्सा शिक्षा विभाग में 15 लाख रुपये का व्यय हुआ है। चौधरी ने इन विभागों को भी पूंजीगत व्यय बढ़ाने के निर्देश दिए।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पांच प्रमुख विभागों में बजट के निर्धारित लक्ष्यों के मुताबिक खर्च की धीमी गति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने विभागों से आग्रह किया कि पूंजीगत व्यय की गति बढ़ाई जाए, ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके और रोजगार सृजन में भी योगदान हो। यह चिट्ठियां छत्तीसगढ़ सरकार के विकास की दिशा में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।