जशपुर, 08 मई 2025: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले में 150 करोड़ रुपये की ठगी का पर्दाफाश करते हुए अंतरराज्यीय ठग गिरोह के दो मुख्य आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन में जशपुर पुलिस ने अत्यंत सूझबूझ और प्रोफेशनल तरीके से कार्रवाई करते हुए ठगों को धर दबोचा। गिरफ्तार आरोपियों में अनिता उपाध्याय (35 वर्ष) और रत्नाकर उपाध्याय (40 वर्ष), दोनों दिल्ली के उत्तमनगर के निवासी हैं। यह गिरोह देश के कई राज्यों में फर्जी संस्था “राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन” के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी को अंजाम दे रहा था।
मामले का खुलासा: पत्थलगांव के व्यापारी से 5.70 करोड़ की ठगी
मामला तब सामने आया जब पत्थलगांव के व्यापारी अमित कुमार अग्रवाल ने 20 अप्रैल 2025 को थाना पत्थलगांव में शिकायत दर्ज कराई। अमित ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन, नई दिल्ली की डायरेक्टर अनिता उपाध्याय, उनके पति रत्नाकर उपाध्याय, सौरभ सिंह और प्रांशु अग्रवाल ने स्वेटर सप्लाई के नाम पर उनसे 5 करोड़ 70 लाख रुपये की ठगी की। शिकायत के आधार पर थाना पत्थलगांव में बीएनएस की धारा 316(2)(5), 318(4), 336(1)(3), 338, 340(2), 341(1), 346 और 61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया।
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि यह गिरोह केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं था, बल्कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित 15 राज्यों में सक्रिय था। गिरोह ने विभिन्न व्यावसायिक संस्थानों से 150 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी। मुख्य आरोपी रत्नाकर उपाध्याय के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में धोखाधड़ी (420) के 12 से अधिक मामले पहले से दर्ज हैं।
पुलिस की रणनीति: मंत्रालय के अधिकारी बनकर ठगों को लुभाया
मामले की गंभीरता को देखते हुए जशपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) शशि मोहन सिंह ने SDOP पत्थलगांव धुर्वेश कुमार जायसवाल के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम गठित की। यह टीम आरोपियों की तलाश में दिल्ली रवाना हुई। SSP ने मामले की लगातार मॉनिटरिंग की और टीम को तकनीकी सहायता प्रदान की।
आरोपियों को पकड़ना आसान नहीं था। ये ठग इतने शातिर थे कि वे वाई-फाई के जरिए व्हाट्सएप कॉलिंग से बात करते थे और अपने मोबाइल फोन ज्यादातर बंद रखते थे, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल थी। दो दिन तक दिल्ली में डेरा डाले रहने के बाद पुलिस को अनिता उपाध्याय का एक मोबाइल नंबर सक्रिय मिला। पुलिस ने तुरंत रणनीति बनाई और खुद को मंत्रालय का अधिकारी बताकर अनिता से संपर्क किया। उसे 1000 करोड़ रुपये के ऑर्डर का लालच देकर दिल्ली के होटल ताज, चाणक्यपुरी में मीटिंग के लिए बुलाया गया।
अनिता शुरू में आनाकानी करती रही और दो दिन तक पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की लगातार कोशिश और विश्वास जीतने की रणनीति रंग लाई। अनिता मीटिंग के लिए तैयार हो गई। पुलिस ने एक अधिकारी को सादी वर्दी में और एक स्थानीय मॉडल को असिस्टेंट बनाकर अनिता से मुलाकात की। इस दौरान अनिता को विश्वास हो गया कि सामने वाला मंत्रालय का अधिकारी है। पुलिस ने अनिता से कहा कि 1000 करोड़ के ऑर्डर के लिए उनके बॉस रत्नाकर उपाध्याय से मुलाकात जरूरी है। अनिता ने रत्नाकर को अपने गुप्त नंबर से कॉल किया, जिसे पुलिस की तकनीकी टीम ने तुरंत ट्रेस कर लिया।
रोमांचक गिरफ्तारी: रत्नाकर ने किया हंगामा, SDOP पर हमला
रत्नाकर उपाध्याय को पकड़ने के लिए पुलिस ने उसका पीछा शुरू किया। रत्नाकर टैक्सी बुक कर लगातार लोकेशन बदल रहा था, जिससे पुलिस के लिए उसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण था। लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी और दिल्ली के सागरपुर में एक मेडिकल स्टोर के पास रत्नाकर को धर दबोचा। गिरफ्तारी के दौरान रत्नाकर ने हंगामा मचाया और “मेरा अपहरण हो रहा है” चिल्लाकर भीड़ इकट्ठा करने की कोशिश की। उसने और अनिता ने SDOP धुर्वेश जायसवाल पर हाथापाई की, लेकिन SDOP ने रत्नाकर को मजबूती से पकड़े रखा। दिल्ली पुलिस के पहुंचने तक उन्होंने आरोपी को नहीं छोड़ा।
इसी दौरान अनिता उपाध्याय को भी होटल ताज से हिरासत में लिया गया। दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर जशपुर लाया गया।
फर्जी संस्था और लालच का जाल
पुलिस जांच में सामने आया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन को 2021 में लखनऊ में रजिस्टर किया गया था, जिसका उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षा और स्कूल सामग्री उपलब्ध कराना था। लेकिन इस संस्था का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा था। अनिता उपाध्याय को डायरेक्टर और रत्नाकर उपाध्याय को को-फाउंडर बनाया गया था। 2023 में रत्नाकर ने डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन पर्दे के पीछे से संस्था का संचालन करता रहा।
यह गिरोह वेंडरों को माल सप्लाई में मोटे मुनाफे का लालच देता था। इसके लिए 25 लाख रुपये सिक्योरिटी मनी, 50,000 रुपये प्रोसेसिंग फीस और 10-15 लाख रुपये नकद लिए जाते थे। पत्थलगांव के अमित अग्रवाल से भी इसी तरह 5.70 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इसके अलावा बिलासपुर की टी बर्ड इंटरप्राइजेज और रायगढ़ की पूर्णिमा ट्रेडिंग से भी 5.70 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जिससे कुल 17.10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ।
आरोपियों ने वेंडरों को लुभाने के लिए बुकलेट में 600 करोड़ रुपये के टर्नओवर का दावा किया, जबकि वास्तव में संस्था को दो साल में केवल 140 करोड़ रुपये CSR फंड से मिले थे।
आरोपियों की संपत्ति: 40 करोड़ के फ्लैट और रेंज रोवर
पुलिस जांच में पता चला कि रत्नाकर उपाध्याय ने ठगी से कमाए पैसों से लखनऊ में 24 फ्लैट, दिल्ली में 2 फ्लैट (कुल कीमत 40 करोड़ रुपये) और 8 करोड़ की रेंज रोवर गाड़ी खरीदी थी। पुलिस इन संपत्तियों की जांच कर रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई की तैयारी में है।
पुलिस को मिला इनाम
इस शानदार ऑपरेशन के लिए रेंज IG दीपक झा ने जशपुर पुलिस टीम के लिए नकद इनाम की घोषणा की है। SSP शशि मोहन सिंह की अगुवाई और SDOP ध्रुवेश कुमार जायसवाल की रणनीति की सभी ने सराहना की।
आगे की कार्रवाई
मामले में दो अन्य आरोपी, सौरभ सिंह और प्रांशु अग्रवाल, अभी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार करने का दावा किया है। जशपुर पुलिस ने इस मामले को प्राथमिकता पर रखते हुए ठगी के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की ठानी है।
जशपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े ठगी रैकेट का पर्दाफाश किया, बल्कि देश भर में सक्रिय अंतरराज्यीय अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश भी दिया है। यह ऑपरेशन पुलिस की तकनीकी क्षमता, रणनीतिक कौशल और समर्पण का शानदार उदाहरण है।