रायपुर, 29 मई 2025: छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता के साथ लागू करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़, संतुलित व छात्र-केंद्रित बनाना है। मुख्यमंत्री श्री साय ने स्पष्ट किया है कि “बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। शिक्षक वहीं तैनात हों जहां छात्र हैं – यही सुशासन की प्राथमिक शर्त है।”
युक्तियुक्तकरण की आवश्यकता: शिक्षा विभाग की समीक्षा रिपोर्ट
शिक्षा विभाग की हालिया समीक्षा रिपोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में संसाधनों के असमान वितरण की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी छात्र दर्ज नहीं है, फिर भी वहां नियमित शिक्षक तैनात हैं। यह न केवल शैक्षणिक संसाधनों का दुरुपयोग है, बल्कि उन स्कूलों में शिक्षकों की कमी का कारण भी बन रहा है जहां छात्रों की संख्या अधिक है।
उदाहरण के तौर पर, सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की प्राथमिक शाला साजाभवना में कोई छात्र नहीं है, लेकिन वहां एक सहायक शिक्षक कार्यरत हैं। इसी तरह, हर्राटिकरा स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है, फिर भी वहां एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं। दूसरी ओर, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षकों की कमी के कारण कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम वर्ष 2024-25 में मात्र 40.68% रहा, जो राज्य औसत से काफी कम है।
मुख्यमंत्री का संकल्प: शिक्षक वहां, जहां छात्र हैं
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में कुंवारपुर के दौरे के दौरान ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लिया। ग्रामीणों ने बताया कि गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों के लिए वर्षों से शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि अनुपयोगी रूप से तैनात शिक्षकों को तत्काल उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाए जहां उनकी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “हम उस व्यवस्था की नींव रख रहे हैं, जहां शिक्षक और छात्र दोनों अपनी सही जगह पर हों। युक्तियुक्तकरण इस परिवर्तन की कुंजी है, जो वर्षों की उलझनों को सुलझाएगी और शिक्षा को नई ऊंचाई देगी।”
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया: पारदर्शिता और डेटा-आधारित दृष्टिकोण
शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है:
1. पारदर्शिता: शिक्षकों के स्थानांतरण और नियुक्ति में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी।
2. मानवीय दृष्टिकोण: शिक्षकों की व्यक्तिगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण किए जाएंगे।
3. स्कूलों की जरूरत: उन स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
4. छात्र-केंद्रित नीति: यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक स्कूल में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हों ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
इस प्रक्रिया के तहत, उन स्कूलों से शिक्षकों को स्थानांतरित किया जाएगा जहां कोई छात्र नहीं है, और उन्हें उन क्षेत्रों में नियोजित किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी है, विशेष रूप से दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में।
शिक्षा विशेषज्ञों की राय: एक आदर्श मॉडल की संभावना
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने इस निर्णय को समय की मांग बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युक्तियुक्तकरण को निष्पक्षता और डेटा-आधारित पद्धति से लागू किया गया, तो छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली देश में एक आदर्श मॉडल बन सकती है। यह कदम न केवल संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार लाएगा।
शिक्षा को सार्थक और समावेशी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम
छत्तीसगढ़ सरकार का युक्तियुक्तकरण का निर्णय केवल एक व्यवस्थागत सुधार नहीं है, बल्कि यह शिक्षा को सार्थक, समावेशी और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह कदम उस सोच को दर्शाता है कि शिक्षा तभी प्रभावी हो सकती है जब शिक्षक और छात्र एक साथ उपस्थित हों।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस पहल को एक अभियान के रूप में परिभाषित करते हुए कहा, “हर पाठशाला देश की अगली पीढ़ी का निर्माण स्थल है। हमारी सरकार इस दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है कि शिक्षा न केवल ज्ञान का स्रोत हो, बल्कि यह हर बच्चे के स्वर्णिम भविष्य की नींव भी बने।”
शिक्षा में नए आयाम
इस निर्णय के लागू होने से छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार होने की उम्मीद है। साथ ही, आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने में यह पहल मील का पत्थर साबित होगी। शिक्षा विभाग ने इस प्रक्रिया को तेजी से लागू करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें समयबद्ध तरीके से स्थानांतरण और नियुक्तियों को पूरा किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ की यह पहल न केवल शिक्षा प्रणाली को सशक्त करेगी, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समानता, गुणवत्ता और समावेशिता की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाने का वादा करता है।
छत्तीसगढ़ सरकार का युक्तियुक्तकरण का निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत है। यह न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर प्रदान करके प्रदेश को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।