रायपुर,Manthanchhattisgarh 15 जून 2025: छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। आगामी 16 जून 2025 से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही राज्य में शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर इस उत्सव में सक्रिय भागीदारी की अपील की है। यह पहल न केवल शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि शत-प्रतिशत बच्चों का स्कूलों में नामांकन सुनिश्चित करने और शिक्षा को जनअभियान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शिक्षा को जनअभियान बनाने की दिशा में ठोस पहल
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन असंभव नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज के हर वर्ग को मिलकर इस दिशा में सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए पहला कदम यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे और सभी बच्चों का समय पर स्कूलों में प्रवेश हो।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि कक्षा 12वीं तक शाला त्याग दर (ड्रॉपआउट रेट) को धीरे-धीरे शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शैक्षणिक अवरोधों को पहचानकर उन्हें दूर करना सभी हितधारकों की साझा जिम्मेदारी है। इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान प्रमुख है।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान: शिक्षा में सुधार की नई पहल
मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत शासकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं:
– शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण: शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, ताकि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिल सके।
– अधोसंरचना विकास: स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं और अधोसंरचना के विकास को सरकार ने अपनी शीर्ष प्राथमिकता बनाया है। इसमें कक्षा-कक्षों, शौचालयों, पेयजल और अन्य सुविधाओं का उन्नयन शामिल है।
– शिक्षा का अधिकार अधिनियम: इस अधिनियम के तहत सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिले।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका: सामाजिक सहभागिता से संवरता भविष्य
मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में शाला प्रवेश उत्सव के दौरान व्यक्तिगत रूप से भाग लें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे। उन्होंने कहा, “हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे” की परिकल्पना को साकार करने के लिए सभी को मिलकर परिणाममूलक कार्य करना होगा।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से न केवल बच्चों के नामांकन को बढ़ावा देने, बल्कि स्थानीय स्तर पर शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में यह अभियान सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए छत्तीसगढ़ को एक शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
शाला प्रवेश उत्सव: शिक्षा के लिए जनांदोलन की शुरुआत
शाला प्रवेश उत्सवको एक जनअभियान के रूप में देखा जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल बच्चों को स्कूलों तक लाना है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करना और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देना भी है। इस पहल के तहत स्कूलों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बच्चों और अभिभावकों को प्रोत्साहित करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, जागरूकता अभियान और सामुदायिक बैठकें शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ का भविष्य: शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण
मुख्यमंत्री श्री साय की इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। यह अभियान न केवल बच्चों की स्कूल तक पहुंच बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को भी गति देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह अभियान जनप्रतिनिधियों और समाज के सभी वर्गों के सहयोग से सफल होता है, तो छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
शाला प्रवेश उत्सव छत्तीसगढ़ में शिक्षा के प्रति जागरूकता और सहभागिता को बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का यह प्रयास न केवल शैक्षणिक सुधारों को गति देगा, बल्कि सामाजिक एकजुटता को भी मजबूत करेगा। इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि समाज का हर वर्ग, विशेष रूप से जनप्रतिनिधि और शिक्षक, इस दिशा में कितनी सक्रियता और प्रतिबद्धता दिखाते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि राज्य शिक्षा के क्षेत्र में न केवल अपनी पहचान बनाएगा, बल्कि एक शिक्षित और सशक्त समाज की नींव भी रखेगा। शाला प्रवेश उत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जहां शिक्षा हर बच्चे का अधिकार और हर नागरिक की जिम्मेदारी होगी।