जशपुर, 29 जून 2025: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के पतरापाली गांव में 21 जंगली हाथियों का दल पहुंचने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। सरगुजा जिले के सीतापुर वन परिक्षेत्र से भटककर आए जंगली हाथियों के इस विशाल झुंड ने न केवल स्थानीय किसानों की खेती को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि क्षेत्र में भय और अशांति का वातावरण भी पैदा कर दिया है।
हाथियों का दल पहुंचा पत्थलगांव के पतरापाली
जानकारी के अनुसार, यह 21 हाथियों का दल सरगुजा के सीतापुर वन परिक्षेत्र से होते हुए पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के पतरापाली गांव के झेराडीह इलाके में पहुंचा है। सुबह-सुबह ग्रामीणों ने जब अपने गांव के आसपास इन विशालकाय जानवरों को देखा, तो पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। कई ग्रामीण जिज्ञासावश हाथियों को देखने के लिए मौके पर पहुंच रहे हैं, जिससे स्थिति और जोखिम भरी हो रही है।
ग्रामीणों में दहशत, खेती करने में किसानों को परेशानी, वन विभाग की अपील
हाथियों के गांव में प्रवेश करने से स्थानीय लोग भयभीत हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि खेती का दिन है लोग अपने अपने खेतों में सुबह से धान बुआई करने जा रहे हैं लेकिन अचानक गांव में हाथियों के आ जाने से उन्हें खेती करने में भी परेशानी आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरगुजा और कोरबा जैसे जिलों में हाथियों के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है, जिसके कारण लोगों का डर और बढ़ गया है।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे हाथियों के झुंड के पास न जाएं और जंगल की ओर जाने से बचें। विभाग ने यह भी सलाह दी है कि ग्रामीण शोर मचाने, पटाखे जलाने या हाथियों को उकसाने वाली गतिविधियों से दूर रहें, क्योंकि इससे हाथी आक्रामक हो सकते हैं। साथ ही, ग्रामीणों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई है।
वन विभाग का प्रयास, हाथियों को खदेड़ने की कोशिश
पत्थलगांव वन परिक्षेत्र की टीम ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। वन विभाग की टीमें हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रही हैं और उन्हें जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास कर रही हैं। विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हमारी टीमें दिन-रात हाथियों की निगरानी कर रही हैं। हमारा प्रयास है कि हाथियों को बिना किसी नुकसान के जंगल की ओर वापस भेजा जाए। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में हाथियों का दल होने के कारण हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।”
उन्होंने बताया कि हाथियों का यह दल, वापस सरगुजा क्षेत्र लौट भी सकता है, कुनकुरी गांव के रास्ते रायगढ़ जिले की सीमा में प्रवेश कर सकता है या फिर लुड़ेग के जंगल की तरफ भी जा सकता है। फिलहाल उनकी टीम हाथियों पर नजर रखी हुई है और उनका प्रयास है कि हाथियों का दल रिहायशी क्षेत्र में प्रवेश न कर पाए।
वन विभाग ने क्षेत्र में मुनादी कराकर लोगों को जागरूक करने का काम भी शुरू किया है। इसके अलावा, हाथी मित्र दल और स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से विभाग स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटा है।
हाथियों का बढ़ता आतंक, स्थायी समाधान की जरूरत
छत्तीसगढ़ के उत्तरी जिलों, विशेष रूप से जशपुर, सरगुजा, कोरबा और रायगढ़ में जंगली हाथियों का आतंक पिछले कुछ वर्षों से बढ़ता जा रहा है। हाल के वर्षों में हाथियों के हमलों में कई लोगों की जान गई है और फसलों को भारी नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में खाद्य संसाधनों की कमी और खनन जैसी गतिविधियों के कारण हाथियों का प्राकृतिक आवास कम हो रहा है, जिसके चलते वे गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।
जशपुर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में हाथी-मानव संघर्ष को कम करने के लिए विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए हैं, जिसमें ग्रामीणों को जागरूक करने, हाथी मित्र दलों को प्रशिक्षित करने और जंगलों में हाथियों के लिए पर्याप्त खाद्य संसाधन सुनिश्चित करने जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में बायो-फेंसिंग और अन्य तकनीकी उपायों का उपयोग भी प्रभावी हो सकता है।
पतरापाली गांव में मौजूदा स्थिति को देखते हुए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके और हाथियों को सुरक्षित जंगल की ओर वापस भेजा जा सके।
पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के पतरापाली गांव में 21 हाथियों के दल ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। फसलों के नुकसान और दहशत के माहौल के बीच वन विभाग की टीमें स्थिति को नियंत्रित करने में जुटी हैं। इस घटना ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव संघर्ष की गंभीरता को उजागर किया है। प्रशासन और वन विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि न केवल ग्रामीणों बल्कि जंगली हाथियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।