रायपुर, 30 जून 2025: छत्तीसगढ़ ने आयुर्वेद और वन संपदा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम जामगांव (एम) में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई, केंद्रीय भंडार गृह परिसर, और स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत निर्मित हर्बल एक्सट्रेक्शन यूनिट का लोकार्पण किया। इस परियोजना को ‘फॉरेस्ट टू फार्मेसी’ मॉडल के तहत विकसित किया गया है, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर आयुर्वेदिक औषधि निर्माण में क्रांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
36.47 करोड़ की लागत से निर्मित मध्य भारत की सबसे बड़ी आयुर्वेदिक इकाई
27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है। यह इकाई प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये मूल्य के आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार करने की क्षमता रखती है। यहां छत्तीसगढ़ के वनों से प्राप्त औषधीय और लघु वनोपज जैसे महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, और अश्वगंधा का वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट, और अवलेह जैसे उच्च गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पाद निर्मित किए जाएंगे। यह इकाई ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड के तहत राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रमुख केंद्र बनेगी।
2,000 लोगों को रोजगार, महिलाओं और युवाओं को विशेष अवसर
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस परियोजना से तीन नई हर्बल इकाइयों के माध्यम से लगभग 2,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की प्राथमिक प्रसंस्करण कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए द्वार खुलेंगे। इस इकाई में 20,000 मीट्रिक टन की संग्रहण क्षमता वाला आधुनिक वेयरहाउस भी विकसित किया गया है, जो मौसमी वनोपजों के दीर्घकालिक संरक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता प्रदान करेगा।
‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करती है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है, जो राज्य के लिए सौभाग्य की बात है। वनों से प्राप्त औषधीय सामग्रियों को इस इकाई में प्रसंस्कृत कर वैश्विक बाजार में पहचान दिलाई जाएगी, जिससे वनवासियों को प्रत्यक्ष लाभ होगा। यह इकाई न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाएगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।
तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए बढ़ी दर और चरण पादुका योजना
मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं। उन्होंने बताया कि सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर को 4,500 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया है, जिससे लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बंद की गई ‘चरण पादुका योजना’ को पुनः शुरू किया गया है। इस योजना के तहत पांच हितग्राही महिलाओं को चरण पादुका वितरित की गई।
मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता: अपने हाथों से पहनाई चरण पादुका
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय की मानवीय संवेदनशीलता का अनूठा दृश्य देखने को मिला। उन्होंने बालोद जिले के ग्राम बढ़भुम की हितग्राही श्रीमती शकुंतला कुरैटी को अपने हाथों से स्नेहपूर्वक चरण पादुका पहनाई। उनकी इस पहल से प्रेरित होकर वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री विजय बघेल, और अन्य अतिथियों ने भी हितग्राहियों—श्रीमती वैजयंती कुरैटी, श्रीमती निर्मला उईके, श्रीमती ललिता उईके, और श्रीमती अघनतीन उसेंडी—को अपने हाथों से चरण पादुका पहनाई। यह दृश्य सामाजिक समावेशिता और सम्मान का प्रतीक बना।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी माँ के नाम पर कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ माँ के प्रति सम्मान का भाव भी बना रहेगा। लोकार्पण समारोह से पहले मुख्यमंत्री ने प्रसंस्करण इकाई परिसर में आंवला का पौधा रोपित किया, जबकि वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने सीताफल, सांसद श्री विजय बघेल ने बेल, और महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने भी सीताफल का पौधा रोपित किया।
वन मंत्री केदार कश्यप का बयान
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44.10 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है, जिससे वनोपज की बहुलता है। यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है, जो वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण, और विपणन को सुगम बनाएगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार की वनोपज का संग्रहण किया जाता है, जिससे 13 लाख 40 हजार वनवासियों को सीधा लाभ मिलेगा। श्री कश्यप ने ‘मोदी की गारंटी’ के तहत ‘चरण पादुका योजना’ के पुनरारंभ पर भी जोर दिया।
आयुर्वेद की महत्ता पर जोर
महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने अपने संबोधन में आयुर्वेदिक औषधियों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उपयोग का एक टिकाऊ मॉडल भी प्रस्तुत करता है।
मुख्य अतिथियों की उपस्थिति
लोकार्पण समारोह में उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, सांसद श्री विजय बघेल, विधायक श्री डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, श्री सम्पत लाल अग्रवाल, श्री ललित चन्द्राकर, श्री गजेन्द्र यादव, श्री रिकेश सेन, पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पूर्व विधायक श्री दया राम साहू, स्थानीय आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री विकास मरकाम, वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामसेवक पैकरा, वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव, छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री अनिल कुमार साहू, और कार्यकारी अध्यक्ष श्री एस. मणिकासगन उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ हर्बल्स: वैश्विक पहचान की ओर
यह आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ की वन संपदा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड के तहत निर्मित उत्पाद न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक समावेशिता को भी बढ़ावा देंगे। यह परियोजना छत्तीसगढ़ को आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक नया मुकाम दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
जामगांव (एम) में स्थापित यह आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का माध्यम बनेगी, बल्कि राज्य की समृद्ध वन संपदा को वैश्विक मंच पर ले जाकर आयुर्वेद के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की पहचान को और मजबूत करेगी।